दशहरा बनाने की क्या है परम्परा –
शारदीय नवरात्री के समापन के अगले दिन दशहरा मनाये जाने की परम्परा है। सामान्य तौर पर यह नवमी के बाद दशमी को मनाया जाता है। दशहरा का त्यौहार मनाये जाने के पीछे बहुत बड़ी परम्परा है। इसके अनुसार ,भगवान श्री राम के 14 वर्ष के वनवास के दौरान रावण के द्वारा माता सीता का हरण कर लिया गया था। अपनी पत्नी सीता को बचने और अधर्मी रावण का विनाश करने के लिए ,भगवान श्री राम ने रावण के साथ कई दिनों तक युद्द किया था इसी बीच शारदीय नवराति के दिनों में भगवान राम ने लगातार 9 दिनों तक शक्ति की देवी की पूजा अर्चना की थी। इसके बाद दुर्गा माँ के आशीर्वाद से भगवान श्री राम ने दुष्ट रावण को युध्द के दसवें दिन मार दिया। और इसी परम्परा के साथ ही हर वर्ष नवरात्री के समापन के अगले दिन दशहरा मनाये जाने की परम्परा है।
इस बार रावण दहन मुहूर्त 2022 –
रावण दहन: 05 अक्टूबर, बुधवार, समय: शाम 05 बजकर 06 मिनट से रात 11 बजकर 05 मिनट तक कर सकते हैं क्योंकि इस समय से ही श्रवण नक्षत्र लग रहा है।
क्या होता है इस दिन –
दशहरा के दिन दुष्ट रावण का पुतला बनाकर रात को मुहूर्त के अनुसार पुतला में आग लगाकर जला दिया जाता है। रावण को अपने ऊपर बहुत ज्यादा घमंड था। श्री राम ने घमंडी रावण मार गिराया था। इसी लिए इस दिन को दशहरा की रूम में बनाते है और रावण को जलाते है।
अत्यंत शक्तिशाली था रावण –
बड़े बड़े ज्ञानी-मुनियों ने बताया रावण पर विजय हासिल करना इतना आसान नहीं था.रावण तपस्वी और बहुत बड़ा विद्वान् पंडित था। रावण की कोई मामूली सत्ता नहीं थी। उसके 10 सिर थे। धर्म कहता है। जो रावण 10 दिशाओं पर नियंत्रण कर सकता था, उस पर विजय प्राप्त करना बड़ी बात थी. इसलिए इसे विजयादशमी कहते हैं और इसे विजय पर्व के रूप में मनाते हैं ।
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