US-China Tension: अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव संपन्न हो चुके हैं। पिछले कुछ सालों में माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्रालय की स्ट्रैटेजी से अमेरिका और भारत के बीच के संबंध मजबूत हुए हैं, लेकिन चीन के संबंध कुछ देशों के अलावा पूरी दुनिया से बिगड़ते जा रहे हैं। चीन के वुहान शहर से शुरू हुए कोरोनावायरस ने पूरी दुनिया को चीन के खिलाफ कर दिया है। हाल ही में अमेरिका में चुनाव संपन्न हुआ जिसमें अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप को कड़ी टक्कर देते हुए बिडेन ने जीत हासिल की। लेकिन चुनाव संपन्न होने के तुरंत बाद ही अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया है।
दरअसल अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने हाल ही में इस शनिवार को एक रिपोर्ट साझा की जिसमें चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया गया। विदेशी मंत्रालय ने इस रिपोर्ट में 80 चीनी कम्पनियों को सूचीबद्ध किया जिसमें अमेरिकी नागरिक काफी निवेश कर रहे हैं। जिन चीनी कम्पनियो कों इस सूची में शामिल किया गया है उनमें से कई कंपनियाँ चीन की सैन्य गतिविधियों में शामिल हैं और यही कारण हैं कि अमेरिका के लिए यह कंपनियाँ भविष्य में खतरा बन सकती हैं। अमेरिका के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी की गई यह लिस्ट अमेरिका और चीन के बीच के सम्बन्धों को बिगाड़ सकती है।
चीन की सैन्य गतिविधियों में शामिल हैं सूचीबद्ध कंपनियाँ
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के द्वारा जारी की गई इस रिपोर्ट में चीन की करीब 80 कंपनियों को लिस्ट किया गया है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने बताया है कि इनमें से कुछ कंपनियाँ चीन की सैन्य गतिविधियों में भी शामिल हैं। इनमें से कुछ कंपनियाँ आधिकारिक तौर पर चीन के रक्षा विभाग में भी सूचीबद्ध हैं। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के द्वारा कहा जा रहा है कि इन सूचीबद्ध कंपनियों में से कुछ कंपनियां ऐसी भी हैं, जो नागरिकों की निगरानी करते हुए उनके मानव अधिकारों का दमन करने के लिए बिज़नेस करती हैं। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के द्वारा जारी की गई यह लिस्ट और इस प्रकार के बयान अमेरिका और चीन के बीच के संबंधों को बिगाड़ते हुए नज़र आ रहे हैं।
चीन और अमेरिका में पिछले कुछ समय से तकरार
कोरोनावायरस के कारण जिन देशों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ उनमें से एक अमेरिका भी है। दुनिया की सबसे मजबूत और बड़ी अर्थव्यवस्था कोरोनावायरस की मार के कारण काफी नीचे गिर गयी। इस वजह से अमेरिका के नागरिकों के साथ अमेरिका के राजनीतिक दल भी चीन के खिलाफ हैं। अमेरिका की तरफ से पहले कुछ ऐसे बयान भी आए थे जिनमें कहा गया था कि अगर यह साबित हो गया कि कोरोनावायरस चीन की लैब में बनाया गया है तो यह चीन के लिए अच्छा नहीं होगा। इसके अलावा अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह भी कहा था कि चीन को इस नुकसान का भुगतान करना पड़ेगा। चीन ने भी अपने छात्रों को शैक्षिक गतिविधियों के लिए अगले कुछ समय तक अमेरिका जाने के लिए मना किया था। वहीं अमेरिका ने हाल ही में चीन के सांस्कृतिक कार्यक्रमों और चीनी अधिकारियों पर बैन लगा दिया है।