वर्तमान केंद्र सरकार जब से सत्ता में आई है तब से एक के बाद एक बड़े फैसले ले रही है। इस केंद्र सरकार ने कई फैसले ऐसे किये हैं जो अब तक सालों में भी नहीं हुए हैं। इसके अलावा कई ऐसी योजनाए भी चलाई जा रही है जो पहले कभी नहीं चलाई गई। नोटेबन्दी से लेकर हर क्षेत्र में डिजिटलाइजेशन जैसे महत्वपूर्ण फैसलों के कारण देश की वर्तमान केंद्र सरकार पूरी दुनिया में अक्सर सुर्खियों में बनी रहती है। सातवें वेतन आयोग का गठन कर्मचारियों के लिए एक बेहतरीन प्रबन्धन जैसा था। इसके बाद पीएफ निजी कंपनियों के लिए अनिवार्य करना कर्मचारियों को अपने भविष्य के लिए राहत देने था और अब लगता है कि कर्मचारियों के लिए केंद्र सरकार एक बार फिर से कोई बड़ा फैसला करने वाली है। जी हाँ, प्राप्त हो रही रिपोर्ट्स के अनुसार 1 अप्रैल 2021 से ग्रेच्युटी, पीएफ और काम के घंटों में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। एक अप्रैल से कुछ नए नियम आ सकते हैं जिससे कई महत्वपूर्ण बदलाव होंगे। यह बदलाव क्या होंगे और इनसे क्या प्रभाव पड़ेगा? चलिये जानते हैं इस लेख में।
काम के घण्टों को लेकर होगा बदलाव
1 अप्रैल से जो नए कानून लागू होने की संभावना है उनमें काम काज के घण्टों में बदलाव या फिर कहा जाए तो बढ़ोतरी करके इन घण्टों को 12 घण्टे बनाने के लिए नियम लागू किया जा सकता है। इन नए ड्राफ्ट नियमों में 15 से 30 मिनट के बीच के अतिरिक्त कामकाज को भी 30 मिनट गिनकर ओवरटाइम में शामिल करने का प्रावधान दिया गया है जिससे कि कर्मचारियों को किये गए काम का अधिक, बेहतर और उचित मेहनताना मिल सकेगा। इसके अलावा 5 घण्टे के बाद कम से कम आधे घण्टे का प्रावधान भी इन ड्राफ्ट नियमों में है। इन नए ड्राफ्ट नियमों में 5 घंटे से अधिक कर्मचारी से काम नहीं कराया जा सकेगा।
वेतन घटेगा लेकिन पीएफ को बढ़ाया जाएगा
1 अप्रैल से लागू हो सकने वाले इन नए ड्राफ्ट नियमों के अनुसार मूल वेतन कुल वेतन का 50 प्रतिशत या इससे अधिक होना जरूरी है। अर्थात अगर यह नए नियम आते हैं तो कर्मचारियों को मूल वेतन का कम से कम 50% मिलेगा और उससे अधिक मिलने की संभावना भी रहेगी। इससे अधिकतर कर्मचारियों के वेतन संरचना में बदलाव आएगा और मूल वेतन के बढ़ने से पीएफ का हिस्सा भी बढ़ेगा जिससे कि हाथ में मिलने वाली राशि कम होगी और पीएफ़ में जाने वाली राशि में बढ़ोतरी की जाएगी।
रिटायरमेंट की राशि में होगा इजाफा
वर्तमान में जो यह नए नियम ड्राफ्ट में है अगर यह लागू किए जाते हैं तो इससे रिटायरमेंट पर मिलने वाली राशि में भी इजाफा होगा जिससे कि रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी का जीवन आसानी से और सुख सुविधाओं के साथ गुजर सकेगा। क्योंकि यह नए नियम ग्रेजुएटी और पीएस में सरकार और कंपनियों के योगदान को बढ़ाएंगे तो इससे रिटायरमेंट के समय पर मिलने वाली राशि में इजाफा भी जरूर होगा। क्योंकि कंपनियों को कर्मचारियों के पीएफ में अधिक पैसे जमा करना पड़ेगा तो इससे उनकी बैलेंस सीट और लागत दोनों पर असर पड़ेगा।