Cloud Computing In Hindi: पिछले कुछ सालो में तकनीकी ने काफी विकास किया है। जहां कुछ सालों पहले नोकिया के ब्लैक एंड वाइट स्मार्टफोन ही लोगों के लिए प्रौद्योगिकी का बड़ा नमूना हुआ करते थे तो वहीं आज हमारे हाथ में बड़े-बड़े स्मार्टफोन भी हमें सामान्य लगते हैं। जी हाँ, तकनीकी इसी गति से आगे बढ़ती है। अगर आप कंप्यूटर के बारे में सामान्य जानकारी रखते हैं तो आपने क्लाउड कंप्यूटिंग (Cloud Computing) का नाम जरूर सुना होगा। क्लाउड कंप्यूटिंग (Cloud Computing) आज के समय में लोगों के लिए काफी उपयोगी हो चुकी है और इसे भविष्य की बड़ी जरूरत माना जा रहा है। इस लेख में हम क्लाउड कंप्यूटिंग (What Is Cloud Computing) के बारे में ही बात करने वाले हैं।
What Is Cloud Computing: जानिए क्या है क्लाउड कम्प्यूटिंग?
जब हम अपने मोबाइल या फिर कंप्यूटर आदि में काम करते हैं तो हमारा जो डेटा है वह हार्ड ड्राइव में सेव होता है। यानी कि अगर हम किसी व्यक्ति से ब्लूटूथ या किसी अन्य तरीके से कोई फाइल स्वीकार करते हैं तो वह फाइल हमारे कंप्यूटर या मोबाइल में हार्ड ड्राइव, मेमोरी कार्ड आदि में सेव होती है और पूरी तरह से ऑफलाइन रहती हैं। यानी कि अगर हमारे डिवाइस या फिर हार्ड ड्राइव को कुछ हो जाता है तो हमारे फाइल भी चली जाती है।
लेकिन क्लाउड कंप्यूटिंग (Cloud Computing) में ऐसा नहीं होता! क्योंकि क्लाउड कंप्यूटिंग में हमारा डाटा किसी वर्चुअल सर्वर (Virtual Server) पर ऑनलाइन सेव होता हैं। यानी कि हम काम करते रहते हैं और हमारे डाटा वर्चुअल सर्वर पर ऑनलाइन स्टोर होता रहता हैं। क्लाउड कंप्यूटिंग पर स्टोर डाटा हम किसी भी कंप्यूटर में कही से भी आसानी से एक्सेस कर सकते हैं। यानी कि क्लाउड कंप्यूटिंग के माध्यम से सेव की गई हमारी फाइल्स को कहीं पर भी एक्सेस करने के लिए अपने पर्सनल कंप्यूटर की जरूरत नहीं होती। हम किसी भी कंप्यूटर से उन फाइल्स को आसानी से एक्सेस कर सकते हैं।
कई जगह पर हमें क्लाउड सर्विसेज फ्री में मिलती है जैसे कि फेसबुक, इंस्टाग्राम, गूगल ड्राइव, जीमेल, ब्लॉग्स्पॉट आदि। यानी कि हम इन वेबसाइट पर जाकर फाइल्स और डाटा अपलोड करते हैं, और वह हमारे पास सुरक्षित रहते हैं, हम उन्हें किसी भी कम्प्यूटर या डिवाइज में इंटरनेट (Internet) के माध्यम से इन्हें एक्सेस कर सकते हैं।
Types Of Cloud Computing: क्लाउड कंप्यूटिंग कितने प्रकार की होती है?
क्लाउड कंप्यूटिंग तीन प्रकार की होती हैं:
- जिसमें पहला नाम पब्लिक क्लाउड कंप्यूटिंग (Public Cloud Computing) का आता हैं। इसमें डेटा बहुत कम सिक्योर माना जाता है। और इसे मल्टीप्ल जगहों से एक्सेस भी किया जा सकता है।
- इसके बाद दूसरा नाम प्राइवेट क्लाउड कंप्यूटिंग (Private Cloud Computing) का आता है। यह बहुत सिक्योर होती है और इसपर आपका पूरा कन्ट्रोल रहता है। जिसको जितना एक्सेस देते हो, वह उतना ही एक्सेस ले सकता है, न उससे ज्यादा न कम।
- इसके बाद तीसरा नाम हाइब्रिड क्लाउड कंप्यूटिंग (Hybrid Cloud Computing) का आता है, इसका कुछ हिस्सा पब्लिक होता है और कुछ प्राइवेट।
Cloud Computing Pros & Cons: जानिए क्या हैं क्लाउड कंप्यूटिंग के फायदे और नुकसान
अगर क्लाउड कंप्यूटिंग के फायदों (Cloud Computing Pros) के बारे में बात करें तो क्लाउड पर स्टोर की गई फाइल काफी सुरक्षित रहती है। क्लाउड पर सेव किया गया डाटा ना तो करप्ट होता है और ना ही इसके डिलीट होने का खतरा होता हैं। क्लाउड सर्विसेज (Cloud Services) देने वाली कंपनियां लगातार अपने सर्वर का हार्डवेयर अपडेट करती रहती है और साथ में फाइल्स का बैकअप भी तैयार करती है। क्लाउड कंप्यूटिंग का इस्तेमाल करते हुए आपको हार्डवेयर के लिए कोई अलग से खर्चा भी नहीं करना पड़ता है।
लेकिन क्लाउड कंप्यूटिंग के कुछ नुकसान (Cloud Computing Cons) भी हैं। अगर आप अपने क्लाउड कंप्यूटिंग कि सुरक्षा पर ध्यान नहीं दोगे तो आपकी फाइल्स किसी भी व्यक्ति तक पहुंच सकती है। इसलिए टू स्टेप ऑथेंटिकेशन जैसे सिक्योरिटी सिस्टम को एक्टिवेट करते रहें ताकि आपके फाइल्स को कोई और एक्सेस नहीं कर सके। क्लाउड कंप्यूटिंग का एक बड़ा नुकसान यह भी है कि आपको इसमें काफी अधिक इंटरनेट भी खर्च करना पड़ सकता है। अगर आप क्लाउड में कोई बड़ी फाइल्स जैसे ही कोई फिल्मी आदि सेव करते हैं, तो उसे वापस देखने के लिए या फिर हार्डवेयर में डाउनलोड करने के लिए आपको काफी इंटरनेट खर्च करना पड़ सकता है।