India Air Force Latest News: पिछले कुछ सालों से वायु सेना को मजबूत बनाने के लिए दूसरे देशों से खरीदे जा रहे फाइटर प्लान्स राफेल का नाम सुर्खियों में है। हाल ही में भारतीय सेना के द्वारा दी गयी एक अपडेट के अनुसार राफेल का पहला बेड़ा जुलाई के अंत तक भारतीय वायु सेवा में शामिल ही सकता है। इस बेड़े में 5 राफेल शामिल होंगे जो फ्रांस से मंगाए जा रहे है। वैसे तो इन रफेल्स की फाइनल इंडक्शन सरेमिनी 20 अगस्त को होगी लेकिन यह इस महीने के अंत तक भारत आ जाएंगे।
पूरी हो चुकी है तैनाती की तैयारी
वायु सेना के द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार राफेल की तैनाती की तैयारियां पूरी हो चुकी है। राफेल के लिए एयर और ग्राउंड क्रू तैयार होकर ऑपरेशनल हो चुकी है। जैसे ही फाइटर प्लेन भारत आएंगे इसकी तैनाती शुरू कर दी जाएगी। प्राप्त हुई जानकारी के अनुसार 22 से 24 जुलाई के बीच दिल्ली में वायु सेना की कॉन्फ्रेंस हो सकती है। इस कॉन्फ्रेंस में कमांडर इन चीफ और एयरचीफ मार्शल के बीच बातचीत होगी।
लद्दाख में हो सकती है तैनाती
कुछ न्यूज़ पोर्टल्स से प्राप्त हुई खबरों के मुताबिक वायु सेना को ताकतवर बनाने वाले इन राफेल्स को लद्दाख में तैनात किया जा सकता है। यह फैसला भारत और चीन के बीच चल रहे तनावों को देखकर लिया जा सकता है। हो सकता है कि इन फाइटर जेट्स को एलएसी यानी की लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के पास रखा जाए ताकि इन तनावी माहौल में भारत की क्षमता बढ़ सके।
कॉन्फ्रेंस में होगा तैनाती पर फैसला
22 से 24 जुलाई के बीच में दिल्ली में होने वाली बैठक में एयरचीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया कमांडर इन चीफ से चर्चा करके राफेल्स की तैनाती का फैसला लेंगे। इस तैनाती के अलावा अगले दस सालो में होने वाली तैनाती से जुड़े हुए फैसले भी इसी कॉन्फ्रेंस में लिए जाएंगे। लेकिन इस समय जैसे भारत और चीन के तनावी हालात है उसे देखते हुए अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन 5 राफेल की तैनाती लद्दाख में हो सकती है।
बेहतरीन मिसाइलों से लेस होगा राफेल
वायुसेना की ताकत को बड़ाने वाला राफेल एक पावरफुल फाइटर जेट होगा। राफेल कई बेहतरीन मिसाइलों से लेस है जो मुसीबत के समय दुश्मनों पर जबरदस्त तरीके से भारी पड़ सकती है। राफेल में मिटियर और स्काल्प नामक आधुनिक मिसाइलें लगी हुई है। इंटरनेट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक इन मिसाइलों की रेन्ज 150 किलोमीटर तक है। इसके अलावा इस जेट में हेलमेट माउंटेड डिस्प्ले, राडार वॉर्निंग रिसीवर जैसी कई तकनीके रहेंगी।