Govt 10 Point Draft Proposal To Kisan On MSP Prices, APMC: हाल ही में कुछ समय पहले केंद्र सरकार ने किसानों के लिए कुछ नए कानून लागू किए थे। केंद्र सरकार का कहना था कि यह कानून किसानों को उनकी फसल स्वतंत्रता के साथ बेचने का अधिकार देंगे। विपक्षी राजनीतिक दलों ने इन कानूनों का विरोध करते हुए कहा कि यह कानून किसानों के लिए महत्व रखने वाली MSP को खत्म कर देंगे। विपक्ष के इस प्रकार के आरोपों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर ट्वीट करके बताया था कि इन नए कानूनों से एमएससी का कोई लेना देना नहीं है, और एमएसपी जिस प्रकार अभी चालू है उसी प्रकार निरंतर चलती रहेगी। लेकिन किसान चाहते थे कि यह लिखित में दिया जाए और इसलिए किसान आंदोलन (Farmer Protest) कर रहे थे। किसानों से आमने सामने बात करने के बाद केंद्र सरकार ने किसानों की शर्तें मंजूर कर ली है।
MSP को जारी रखने का भरोसा लिखित में दिया जाएगा
दरअसल दिल्ली में चल रहे किसान आन्दोलन (Kisan Andolan) को महत्व देते हुए केंद्र सरकार ने किसानों से छह दौर की बातचीत की। इसके बाद सरकार द्वारा किसानों को 10 बिंदु का प्रस्ताव भेजा गया। इस प्रस्ताव में सरकार किसानों को मिनिमम सपोर्ट प्राइस यानी MSP की मौजूदा व्यवस्था जारी रखने पर लिखित में भरोसा देने के लिए मान गयी। इतना ही नहीं बल्कि सरकार ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमेटी यानी APMC के तहत बनी मंडियों को बचाने के लिए कानून में जरूरी बदलाव भी करेगी। लेकिन कृषि कानूनों को खत्म करने की मांग सरकार ने ठुकरा दी। सरकार का कहना हैं कि ये कानून पूरे देश के किसानों के लिए फायदेमंद हैं।
जानें क्या थी किसानों की मांग और क्या दिया सरकार ने जवाब?
किसान की 10 मांगों में सरकार ने कारणों को रद्द करने की एक मांग को ठुकरा दिया और पांच मांगों पर सफाई देने की बात कही। वहीं चार मांगों पर बदलाव करने का आश्वासन भी दिया है। आइए जानते हैं क्या थी किसानों की 10 मांग और क्या है सरकार के प्रस्ताव
1. मुद्दा : नए कानूनों को रद्द करे सरकार
सरकार का प्रस्ताव : कानूनों को रद्द नहीं किया जाएगा लेकिन कानून के जिन प्रावधानों से किसानों को एतराज है उन पर सरकार एक बार फिर खुले मन से विचार करेगी।
2. मुद्दा : इन कानूनों के आने से सरकारी एजेंसी का फसल बेचने का काम खत्म हो जाएगा और निजी एजेंसियों को फसल बेचने की जरुरत पड़ेगी।
सरकार का प्रस्ताव : केंद्र सरकार के द्वारा लाए गए नए कानूनों से सरकारी खरीद की व्यवस्था में कोई दखल नहीं होगी। राज्य सरकार एवं एमएसपी सेंटर और मंडिया बनाने के लिए स्वतंत्र होगी और केंद्र सरकार उनकी मदद भी करेगी। इन कानूनों के आने के बाद भी एमएसपी पहले की तरह लगातार मजबूत होती रहेगी और इससे एमएसपी को कोई नुकसान नहीं होगा। अब केंद्र सरकार एमएसपी पर लिखित आश्वासन भी देगी।
3. मुद्दा : किसानों की जमीन पर बड़े उद्योगपति कब्जा कर लेंगे और किसान अपनी जमीन खोने लगंगे।
सरकार का प्रस्ताव : किसानों के इस मुद्दे पर सरकार ने कहा कि खेती की जमीन की बिक्री, लीज और मॉर्टगेज पर किसी भी तरह का करार नहीं हो सकता। किसान की जमीन पर कोई ढांचा भी नहीं बनाया जा सकता। अगर ढांचा बनता है, तो फसल खरीदने वाले को करार खत्म होने के बाद उसे हटाना होगा। यदि ढांचा नहीं हटा, तो उसकी मिल्कियत किसान की होगी। यानी कि किसानों की जमीन पर हमेशा उनका हाथ रहेगा। जब तक किसान अपनी जमीन किसी अन्य उद्योगपति को या फिर व्यक्ति को नहीं बेच देता तब तक वह जमीन के साथ ही रहेगी। फसल खरीददार का किसान की जमीन पर कोई हक नहीं होगा और ना ही वह दुकान से कोई कर्ज नहीं ले सकेगा।
4. मुद्दा : किसानों को आशंका है कि इन नए कानूनों से APMC के तहत बनी मंडियां कमजोर होंगी।
सरकार का प्रस्ताव : न केवल मंडी समितियों में और MSP पर फसल बेचने के पुराने विकल्प भी बरकरार हैं बल्कि इन कानूनों से कुछ नए विकल्प लाये गए हैं किसानों को ज्यादा पैसा मिल सके और ज्यादा कॉम्पीटिशन रहे। इसके अलावा सरकार ने यह भी कहा कि कानूनों में बदलाव किया जा सकता है ताकि राज्य सरकार मंडियों का रजिस्ट्रेशन जारी रख सकें।
5. मुद्दा : किसानों का मानना है कि नए कानूनों से उनके जमीन की कुर्की हो सकती है।
सरकार का प्रस्ताव : सरकार ने जवाब दिया है कि धारा 15 में यह साफ लिखा है कि वसूली के लिए किसानों की जमीन कुर्क नहीं की जा सकती है अतः यह सम्भव नहीं है। खरीदार के खिलाफ 150% पेनल्टी लगाई जा सकती है लेकिन किसानों के खिलाफ पेनल्टी लगाने का प्रावधान नहीं है।
6. मुद्दा : किसानों का कहना है कि अगर कोई भी बात हो जाए तो वह सिविल कोर्ट में नहीं जा सकते।
सरकार का प्रस्ताव : सरकार ने जवाब दिया है कि 30 दिन में समस्या का समाधान किये जाने का प्रावधान है। इसके अलावा 16 बोर्ड के जरिए आपसी समझौते का प्रावधान भी मौजूद हैं। सरकार ने यह भी कहा है कि किसानों को सिविल कोर्ट जाने का विकल्प भी दिया जा सकता है।
7. मुद्दा : किसानों का कहना है कि पैन कार्ड के जरिए फसल की खरीद होने से धोखा होगा।
सरकार का प्रस्ताव : सरकार का कहना है कि मार्केटिंग के विकल्प देने के लिए पैन कार्ड की व्यवस्था लाई गई है। राज्य सरकार को अधिकार दिया जा सकता है कि वह फसल खरीदने वाले के लिए रजिस्ट्रेशन का नियम ला सकें।
8. मुद्दा : किसानों का कहना है कि इन कानूनों के आने के बाद पराली जलाने के लिए उन पर जुर्माना लगाया जाएगा या फिर उन्हें सजा दी जाएगी।
सरकार का प्रस्ताव : सरकार ने प्रस्ताव दिया है की इस विषय से जुड़ी हुई किसानों की आपत्तियों को दूर किया जाएगा।
9. मुद्दा : किसानों का कहना है कि एग्रीकल्चर एग्रीमेंट में रजिस्ट्रेशन का विकल्प नहीं है जो उनके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।
सरकार का प्रस्ताव : सरकार ने कहा है कि कोई भी राज्य सरकार रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था शुरू कर सकती है। इतना ही नहीं सभी राज्य सरकारों के पास रजिस्ट्रेशन ट्रिब्यूनल बनाने का अधिकार भी है। केंद्र सरकार ने यह विकल्प भी दिया है कि जब तक राज्य सरकार रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था शुरू नहीं करेगी तब तक एग्रीकल्चर एग्रीमेंट होने के बाद 30 दिन के अंदर उसकी एक कॉपी एसडीएम ऑफिस में जमा कराई जाए।
10. मुद्दा : किसानों का कहना है कि बिजली संशोधन विधेयक 2020 को खत्म कर दिया जाएगा।
सरकार का प्रस्ताव : सरकार का कहना है कि अभी केवल इस विषय पर चर्चा चल रही है। राज्य सरकार सब्सिडी को एडवांस में लोगों के खाते में जमा कराएगी। राज्य सरकार ने यह विकल्प भी दिया है कि किसानों के बिजली बिल की व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।