Health Insurance: स्वस्थ्य बीमा से सम्बंधित IRDAI ने ताजा दिशानिर्देश जारी किये हैं जिसके अनुसार आठ वर्ष तक प्रीमियम भर चुके ग्राहकों को अब बीमा बीमा कंपनियां क्लेम देने में कोई आनाकानी नहीं कर सकती हैं। IRDAI का कहना है कि बीमा के सभी सेक्टर एकरूपता लाने का प्रयाश कर रहे हैं, इसके साथ ही मौजूदा स्वास्थ्य बीमा उत्पादों की सामान्य नियमों एवं शर्तों की शब्दावली को भी सरल बनाना चाहते हैं।
पॉलिसी कॉन्ट्रैक्ट में किया जा सकता है बदलाव
IRDAI ने घोषणा की है कि “मौजूदा बीमा उत्पादों के वो सभी पॉलिसी कॉन्ट्रैक्ट जो गाइडलाइन के आधार पर नहीं हैं, उनमें 1 अप्रैल, 2021 के बाद जब रीन्यूअल के लिए पॉलिसी ड्यू होगी, उस समय से बदलाव किया जाएगा।”
IRDAI के अनुसार, ‘यदि कोई बीमा पॉलिसी लगातार आठ साल से चल रही हो, तो उस पर बीमा कम्पनियाँ दावों पर एतराज नहीं कर सकती हैं। इस मोरेटोरियम पीरियड के खत्म हो जाने के बाद किसी हेल्थ इन्शुरन्स पालिसी पर किसी तरह का विवाद नहीं किया जा सकता, बशर्ते कि पॉलिसी कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक किसी तरह की जालसाजी या स्थायी रोक की बात साबित न हो जाए।’
इसके साथ ही ये पालिसी सभी सीमाओं, उप-सीमाओं, को-पेमेंट, डिडक्टिबल आदि के अधीन होंगे। आठ साल की इस अवधि को मोरेटोरियम अवधि कहा जायेगा और यह पहली पॉलिसी के सम एंश्योर्ड पर लागू जाएगी, इसके अलावा आठ साल की अवधि आगे सम एंश्योर्ड की बढ़ी सीमा पर लागू होगी।
30 दिन के भीतर दावे पर ले सकते हैं निर्णय
नियामक के अनुसार बीमा कंपनी को सभी दस्तावेज हासिल करने के बाद 30 दिन के भीतर दावे को स्वीकार या इन्कार करने का निर्णय ले सकते हैं। और इस दौरान अगर बीमा कंपनियां दावा पूरा नहीं कर पाती हैं तो उन्हें पॉलिसीधारक को ब्याज देना होगा। यह ब्याज बैंक दर से दो परसेंट अधिक होगा।
इसके साथ ही IRDAI ने यह भी कहा है कि ऐसे मामले जहाँ पर किसी तरह की धोखाधड़ी हुई हो, उनमें सभी किस्तें जमा होने के बावजूद क्लेम नहीं मिल सकेगा। और इनमें जमा राशि बीमा कंपनियां जब्त कर सकती हैं। इसमें पोर्टेबिलिटी की बात भी की गयी है। इसके साथ ही पालिसी धारक अगर चाहें तो अपने पॉलिसीकर्ता को भी बदल सकते हैं। लेकिन यह प्रक्रिया उस पॉलिसी की नवीकरण तिथि से कम से कम 45 दिन पहले होनी चाहिए। और 60 दिन से पहले ऐसा करने की इजाजत नहीं दी जाएगी।
IRDAI ने बताया कि कोरोना के इलाज को हेल्थ बीमा कवर में शामिल किया गया है, और अब इसमें टेलीमेडिसीन को शामिल करने के वजह से मरीजों को और राहत मिलेगी।