Haridwar Kumbh Mela 2021: हरिद्वार कुम्भ मेला शुरू, अगर आप भी कुम्भ मेले में जा रहे हैं तो पहले ये जरुरी बातें जान लें!

Haridwar Kumbh Mela 2021: कुम्भ का मेला कोई साधारण मेला नहीं होता है, यह एक महोत्सव होता है जिसमें लाखों-करोड़ों लोग शामिल होते हैं। महा कुम्भ का मेला (Maha Kumbh Mela 2021) एक महापर्व होता है जो सदियों से आयोजित होता आ रहा है। भारत में रहने वाला हर व्यक्ति चाहता है कि वह जिंदगी में एक न एक बार कुम्भ स्नान जरूर करे। मान्यता है कि कुम्भ स्नान से सभी पाप धुल जाते हैं और माँ गंगा का आशीर्वाद मिलता है। हरिद्वार में 14 जनवरी मकर संक्रांति से कुम्भ मेला (Haridwar Kumbh 2021) आरम्भ हो चुका है।

हरिद्वार कुंभ मेले में इस बार 6 प्रमुख स्नान हैं। पहला स्नान मकर संक्रांति को, दूसरा स्नान 11 फरवरी को मौनी अमावस्या की तिथि पर, तीसरा स्नान 16 फरवरी को बसंत पंचमी के पर्व पर, चौथा स्नान 27 फरवरी को माघ पूर्णिमा की तिथि पर, पांचवा स्नान 13 अप्रैल चैत्र शुक्ल प्रतिपदा (हिन्दी नववर्ष) और  कुम्भ का छठा प्रमुख स्नान 21 अप्रैल को राम नवमी पर होगा। अगर आप इस बार कुम्भ मेले में जाने की सोच रहे हैं, तो आपको इससे जुड़ी हुई जरूरी बातें और नियमों के बारे में पता होना चाहिए। अगर आप इनके प्रति लापरवाही करेंगे तो आपको भारी नुकसान हो सकता है। तो चलिए जानते हैं कुंभ मेले (Haridwar Kumbh Mela 2021) से जुडी हुई जरूरी बातों के बारे में!

दान करना है जरूरी 

Haridwar Kumbh Mela 2021

अगर आप कुंभ के मेले में इस बार स्नान करने जा रहे हैं तो आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि वहां पर कुछ न कुछ दान करके जरूर आएं क्योंकि दान के बिना कुंभ स्नान अधूरा माना जाता है। इसके अलावा आपको कुछ न कुछ त्याग भी करना चाहिए जैसे कि अगर आपके अंदर कोई बुरी आदत है तो आप कुंभ स्नान के साथ उसे त्याग सकते हो।

इस तरह से करें कुंभ स्नान 

Haridwar Kumbh Mela 2021

अगर आप कुंभ के मेले में जाना चाहते हो और वहां पर कुंभ स्नान करना चाहते हो तो याद रखें स्नान करने से पहले नदी को प्रणाम करें और उसमें पुष्प चढ़ाएं व अपनी इच्छा अनुसार मुद्रा दान करें और स्नान के बाद किसी पुरोहित को वस्त्र आदि भी दान करें। यह सनातन धर्म की मान्यता है जो व्यक्ति को दान के प्रति अग्रसर रखती है।

न करें यह गलतियां 

Haridwar Kumbh Mela 2021

अगर आप कुंभ स्नान के लिए जा रहे हैं तो ध्यान रखें कि नदी केवल स्नान के लिए है और अन्य कार्यों के लिए इसका प्रयोग ना करें। स्नान के दौरान खेलना मना है और अन्य क्रियाएं जैसे कि शौच, कुल्ला, कपड़े धोना आदि से भी दूर रहना ही उचित है। इस तरह के कार्य करना नदी के साथ दुर्व्यवहार माना जाता है, जिससे कार्य करने वाले व्यक्ति के ऊपर पाप चढ़ता है।

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