ITR Form 26AS Updated: 13 अगस्त को माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेशनल डिजिटल स्वास्थ्य मिशन के अलावा पारदर्शी टैक्सेशन प्लेटफार्म की घोषणा भी की है। इस पारदर्शी टैक्सेशन फॉर्मेट में टैक्स कम्प्लाइंस, फेसलेस असेसमेंट और फाइलिंग रिटर्न्स जैसी प्रक्रियाओं को आसान और त्रुटीरहित बनाने के लिए कुछ सुधार किये जाएंगे। इसके साथ ही कर-चोरी कम करने के लिये और टैक्स बेस बढाने के लिये केंद्र सरकार ने लेन-देन की सीमा घटाने का प्रस्ताव भी दिया है।
सरकार ने इस साल इनकम टैक्स फ़ाइल करने की अंतिम दिनांक जुलाई से बढ़ाकर नवम्बर तक कर दी है। जून में प्राप्त हुई नोटिफिकेशन में यह बताया गया था कि फॉर्म 26AS के अब पहले से भी अधिक जानकारी शामिल होगी। तो चलिए जानते हैं आखिर क्या है यह फॉर्म 26AS और क्या है इसका महत्व?
फॉर्म 26AS क्या है?
फॉर्म 26AS एक वर्षीय टैक्स क्रेडिट स्टेटमेंट को कहा जाता हैं। टैक्स भरने व व्यक्ति फॉर्म 26AS को इनकम टैक्स पोर्टल पर बने अपने अकाउंट से डाउनलोड कर सकता है। इसमें आपकी इनकम पर काटे गए टैक्स और टैक्स कलेक्टर की ओर से वसूला गया टैक्स, चुकाया गया एडवांस टैक्स, सेल्फ-असेसमेंट टैक्स पेमेंट, रेगुलर असेसमेंट टैक्स, वित्त वर्ष में आपको मिला हुआ रिफंड की जनकारी होती है।
इसके साथ ही फॉर्म 26AS में म्युचुअल फंड्स और शेयर्स आदि की हाई-वैल्यू ट्रांजेक्शन का डिटेल होता है। खैर, अब तक तो 30 लाख रुपये से ऊपर की प्रॉपर्टी, 10 लाख से ज्यादा के शेयर्स, म्यूचल फंड्स, एफडी, क्रेडिट कार्ड पेमेंट्स पर ही इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को सूचित किया जाता है।
फॉर्म 26AS में हो रहे हैं ये जरूरी बदलाव
> फॉर्म 26AS में अब जरूरी बदलाब होने वाले हैं। अब इस फॉर्म में एक तरह से कर भुगतानकर्ता की पूरी प्रोफाइल बन जाएगी। इसमे टैक्सपेयर के मोबाइल नम्बर और पासपोर्ट आदि सभी चीजों की जानकारी होगी।
> फॉर्म 26AS में 20 हजार रुपये से ऊपर के वाइट गुड परचेस और होटल बिल आदि के खर्चे का ब्यौरा भी आ जाएगा। इससे जब आप रिटर्न फ़ाइल करोगे तो आपको पता होगा कि पिछले साल आपने कहाँ और कितना खर्च किया।
रिटर्न जमा करने से पहले फॉर्म 26AS देखना क्यों है जरूरी?
> इनकम टैक्स विभाग के पास टैक्सपेयर के खर्चों और लेन-देन की जानकारी विभिन्न माध्यमों से पहुचती है। यह सभी जानकारी फॉर्म 26AS के जरिये अब कर भुगतानकर्ताओं को भी बताई जाएगी।
> इस नई प्रदर्शित प्रणाली से गलतियाँ काफी कम होगी और मुकदमेबाजी घटकर टैक्स का भुगतान करने वाले व्यक्ति और आयकर विभाग के बीच विश्वास मजबूत होगा।
> पहले टैक्स भरने की कार्यवाही में जो टैक्सपेयर की अनिश्चितता बनी रहती थी वो अब कम होगी। यह नई व्यवस्था एडमिनिस्ट्रेशन में जवाबदेही और पारदर्शिता पैदा करेगी।
> इस नई योजना से एक तरफ ईमानदार टैक्सपेयर को अपडेटेड इनफार्मेशन से सटीक आईटीआर दाखिल करने में आसानी रहेगी तो वही जो लोग खास वित्तीय लेन-देन से छुपते थे अब उन पर अच्छे से कार्यवाही हो सकेगी।