India GDP Growth Rate: पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर कोरोना वायरस ने लगाम लगा दी है। अर्थव्यवस्था में सबसे मजबूत माने जाने वाले देश भी इस समय नकारात्मक आकड़ों का सामना कर रहे हैं। भारत में लंबे समय तक लॉकडाउन रहा जिस वजह से देश की अर्थव्यवस्था (Economy) को काफी ठेस पहुंची है। फिलहाल सभी देशों की अर्थव्यवस्थाओं को लेकर विभिन्न अनुमान लगाए जा रहे हैं। रिसर्च एजेंसी गोल्डमैन सैश ने हाल ही में कुछ आंकड़े प्रस्तुत किए है जिसमें भारतीय अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट के अनुमान जताए गए हैं।
जानें क्या कहती है जांच एजेंसी?
जांच एजेंसी गोल्डमैन सैश का मानना है कि वित्त वर्ष 2020-21 के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था में 14.8 फीसदी तक की गिरावट देखी जा सकती हैं। इसका मुख्य कारण कोरोना वायरस से बचाव के कारण लगाए गए लॉकडाउन को माना जा रहा है। इससे पहले एजेंसी ने 11.8 फीसदी की गिरावट का अंदाज लगाया था। गोल्डमैन सैश के अलावा भी फिच रेटिंग्स और इंडिया रेटिंग्स ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी की ग्रोथ का अंदाज लगाया है।
अक्टूबर-दिसम्बर तिमाही में ग्रोथ की सम्भावना
हाल ही में फिच रेटिंग्स ने भी जीडीपी (GDP) की ग्रोथ का आनुमानिक आंकड़ा जारी किया हैं। एजेंसी का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में 10.5 प्रतिशत की भारी गिरावट हो सकती है। लेकिन लोगों को सुनिश्चित करते हुए एजेंसी ने यह भी बताया कि वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही यानी कि अक्टूबर से दिसंबर की तिमाही में अर्थव्यवस्था जीडीपी (GDP) में ग्रोथ की काफी संभावना है। एजेंसी ने बताया है कि सुधार की गति धीमी रहेगी और साथ में कई असमानताए देखने को मिल सकती है। बता दें कि इस रेटिंग कम्पनी ने पहले 5 प्रतिशत की गिरावट का अंदाजा लगाया था।
रिसर्च कंपनी इस समय भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति को लेकर अनुमान लगा रही है। इनमें से गोल्डमैन सैश ने अर्थव्यवस्था में -14.8%, फिच रेटिंग्स ने -10.5 प्रतिशत, नोमुरा ने -10.8 प्रतिशत, एचएसबीसी ने -7.2 प्रतिशत, इंडिया रेटिंग्स ने -11.8 प्रतिशत के बदलाव के अनुमान लगाये हैं।
लॉकडाउन का नकारात्मक असर
कोरोनावायरस की वजह से देश में लॉकडाउन लगाया गया जिसकी वजह से चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी (GDP) में 23.9 फीसदी की गिरवर देखी गयी। इसमें एग्रीकल्चर में हुई 3.5 फीसदी की बढ़त के अलावा अधिकतर क्षेत्र में नुकसान ही देखा गया है। दरअसल कंस्ट्रक्शन ग्रोथ में -51.4 फीसदी, मैन्यूफैक्चरिंग ग्रोथ में -39.3 फीसदी, माइनिंग सेक्टर ग्रोथ में -41.3 फीसदी और ट्रेड, होटल, ट्रासंपोर्ट ग्रोथ में -47.4 फीसदी तक की भारी गिरावट देखी गयी। इस प्रकार की गिरावट केवल भारत में ही नहीं बल्कि अन्य कई विकसित देशों में भी देखी गयी है। केवल चीन में 3.2 की बढ़ोतरी देखी गयी।
2022 में हो सकता है सुधार
कुछ महीने के लॉकडाउन ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर भारी असर डाला है। इससे पहले 1980 में 5.2 फीसदी की गिरावट देखी गयी थी। इस साल भारतीय अर्थव्यवस्था में जो गिरावट हुई है वो वाकई में हैरान कर देने वाली है। लेकिन इंडिया रेटिंग्स का कहना हैं कि वित्त वर्ष 2022 में जीडीपी ग्रोथ रेट (GDP Growth Rate) 9.9 फीसदी रहेगी। खैर, अनुमानित आंकड़े कुछ खास तो नहीं कह सकते लेकिन यह बात तो साफ है कि साल 2022 तक भारतीय इकॉनमी में एक बेहतरीन सुधार देखने को मिलेगा। इस सुधार के बड़े कारणों में से एक प्रधानमंत्री का ‘आत्मनिर्भर’ अभियान भी होगा।
जानिए क्या है जीडीपी
एक वर्ष के भीतर देश में बनाये जा रहे सभी सामानों और सेवाओं का कुल मूल्य जीडीपी Gross Domestic Product (GDP) कहलाता है। GDP किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति की बताती है। इससे यह पता चलता है कि देश का विकाश हो रहा है या नहीं, और हो रहा है तो किस तरह से हो रहा है। एनएसओ जीडीपी के आंकड़े हर तिमाही यानि कि साल में 4 बार जारी करता है। GDP की गणना कंजम्पशन एक्सपेंडिचर, गवर्नमेंट एक्सपेंडिचर, इनवेस्टमेंट एक्सपेंडिचर और नेट एक्सपोर्ट्स की द्वारा की जाती है।