Corona Vaccine: कोरोना महामारी चीन से शुरू हुई इस बात में याब कली दो राय नहीं है। लेकिन अब तक यह बात साफ नहीं कही जा सकती है कि यह एक सोची समझी साजिश थी या फिर अचानक से पैदा हुआ एक वायरस। खैर, इस पर विभिन्न देश अपने-अपने तरीके से रिसर्च कर रहे हैं। कोरोना वायरस से कई लोगों की जान गई है, लेकिन अब आख़िकार वैज्ञानिकों ने वायरस से लड़ने के लिए वैक्सीन का निर्माण कर लिया है। लगभग सभी देशों में वैक्सीन पर काम चल रहा है। अमेरिका, चीन और ब्रिटेन जैसे देशों में सामान्य जनता को वैक्सीन देना शुरू कर दिया गया है। भारत में भी कुछ समय में वैक्सीन देना शुरू कर दिया जाएगा।
Corona Vaccine: चीन की वैक्सीन पर लम्बे समय से हो रहे थे सवाल खड़े
चीन उन देशों में से एक है जहाँ कोरोना की वैक्सीन सबसे जल्दी तैयार की गई थी। लेकिन अमेरिका सहित अन्य पश्चिमी देशों ने चीन पर आरोप लगाए हैं, कि चीन ने वैक्सीन बनाते समय कोई पारदर्शिता नहीं दिखाई। अमेरिका ने तो चीन की वैक्सीन को लेने से साफ मना कर दिया है। अमेरिका के साथ अन्य कई देशों ने भी चीन की वैक्सीन का बहिष्कार किया है। भारत में जिस तरह के हालात हैं, लगता नहीं कि भारत में भी चीन की वैक्सीन का बिल्कुल भी प्रयोग किया जाएगा।
पश्चिमी देशों को चीन का जवाब
लम्बे समय से चीन पर वैक्सीन को लेकर कोई पारदर्शिता ना दिखाने के आरोप लगाए जा रहे हैं। चीन के द्वारा कोरोना के खिलाफ लड़ने वाली वैक्सीन का नाम ‘सिनोवेक’ है। चीनी सरकार ने अपने वैक्सीन के पक्ष में सफाई देते हुए प्रोपेगेंडा चलाने वाले अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ में एक आर्टिकल छापा है, जिसमें पश्चिमी देशों को सीधे जवाब दिया गया है। ग्लोबल टाइम्स में चीन की तरफ से छापे गए आर्टिकल के अनुसार ‘ब्राजील के एक इंस्टिट्यूट’ ने चीन के द्वारा विकसित की गई वैक्सीन ‘सिनोवेक’ को 50 प्रतिशत से अधिक असरदार बताया है।
वैक्सीन का इतना असरदार होना उसे आपातकालीन स्वीकृति के लिए योग्य बनाता है। वैक्सीन बनाने वाली चीनी कंपनी, तुर्की और इंडोनेशिया जैसे अन्य देशों में परीक्षणों से डाटा इकट्ठा कर उसका विश्लेषण करेगी, लेकिन पश्चिमी सरकारों और मीडिया ने पारदर्शिता को लेकर तुरन्त सवाल उठाना शुरू कर दिए।
चीन ने कहा हमारी वैक्सीन के बिना कोरोना पर काबू पाना है मुश्किल
चीन के द्वारा ‘ग्लोबल टाइम्स’ में छपवाए गए आर्टिकल में यह भी लिखा हुआ है कि ‘चीन की ‘सिनोवैक’ कोरोना वैक्सीन ज्यादा सुरक्षित है और इसे रेफ्रिजिरेटर के तापमान में आसानी से स्टोर किया जा सकता है। यह विकासशील देशों के हिसाब से बनाई गई है और दाम कर रखे गए हैं। लेकिन पश्चिमी देशों ने इन खूबियों को नजरअंदाज कर दिया है’। चीन का मानना है कि कम कीमत वाली इस चीनी वैक्सीन के बिना कोरोना वायरस से लड़ना आसान नहीं है। बता दें कि चीन ने अमेरिका की वैक्सीन ‘फाइजर’ को लेकर भी लेख में सवाल उठाए हैं।