Kisan Andolan: किसानों के आगे क्यों झुकी मोदी सरकार, यह हो सकते हैं 5 कारण

Kisan Andolan: हाल ही में केंद्र सरकार कृषि कानून (Farmers Law) लाई थी जिन्हें किसानों के लिए बेहतर बताया जा रहा था। कहा जा रहा था कि इन कानूनों के आने से किसानों को अपना सामान सीधे ग्राहकों और सेलर्स को भेजने का मौका मिलेगा जिससे उन्हें अधिक प्रॉफिट होगा लेकिन इन कानूनों का जितना समर्थन किया गया उतना ही विरोध भी हुआ। देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर पंजाब के किसानों ने इन कानूनों का जमकर विरोध किया। किसानों की कुछ शर्ते थी जिन्हें सरकार ने मंजूर भी किया लेकिन उसके बावजूद भी यह आंदोलन चालू रहे और अब आखिरकार किसानों की मांग पर यह कृषि कानून वापस लिए जा रहे हैं। सरल भाषा में कहा जाए तो मोदी सरकार किसानों के आगे झुक गई है। लेकिन क्या आप जानते हैं इसके क्या कारण है? तो चलिए इसी विषय पर चर्चा करते हैं।

Kisan Andolan

सुप्रीम कोर्ट ने लगाई कानूनों पर रोक

12 जनवरी के दिन सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों पर अपना फैसला देते हुए उन्हें लागू करने पर रोक लगा दी। ऐसा काफी कम ही देखा गया है जब खुद सरकार सांसदों के द्वारा बनाए गए कानूनों पर रोक लगा देती है लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि कोर्ट का पैनल बनाना इस ओर इशारा है कि समाधान जल्द से जल्द हो। कुछ नेता इस तरह कोर्ट के दखल को सही नहीं मान रहे हैं। लेकिन अगर देखा जाए तो यह छोटा सा आंदोलन काफी बड़ा रूप ले सकता है जिससे देश में बड़ी समस्याएं पैदा हो सकती है और इन सभी को देखते हुए ही शायद कोर्ट ने ऐसा फैसला लिया है।

संघ नेतृत्व का कृषि कानूनों पर समर्थन न होना

इसमें कोई दो राय नहीं है कि बीजेपी में काफी सारे ऐसे नेता हैं जो कृषि कानूनों को सही नहीं मान रहे हैं और अपने दल को एक बार इन कानूनों पर फिर से विचार विमर्श करने की सलाह दे रहे हैं। ऐसे में अगर इन कानूनों को लागू किया जाए तो दल के अंदर विरोधी आवाजें मजबूत हो सकती है जिससे बड़ी समस्या पैदा हो सकती है तो शायद यह भी एक कारण हो सकता है कि कृषि कानूनों पर फिलहाल रोक लगा दी गई है।

26 जनवरी को किसानों की ट्रेक्टर परेड

न्यूज रिपोर्ट की मानें तो 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर परेड को रोकने के लिए भी इन कृषि कानूनों को फिलहाल के लिए रोका जा रहा है। कोर्ट ने अपना फैसला दिया है कि ट्रैक्टर परेड का होना या न होना दिल्ली पुलिस पर निर्भर करता है लेकिन सरकार के लिए यह एक शर्मिंदगी की बात होगी और शायद यह भी एक कारण है कि फिलहाल के लिए इन कानूनों पर रोक लगा दी गई है।

नए संसद सत्र की शुरुआत

29 जनवरी से बजट सत्र की शुरुआत हो रही है। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि अपोजिशन के पास बीजेपी का विरोध करने के लिए कम ही मुद्दे रहते हैं तो ऐसे में कृषि कानून के बहाने अपोजिशन को काफी तगड़े मुद्दे विरोध के लिए मिल जाएंगे। अपोजिशन की लगभग सभी पार्टियों ने किसानों को अपना समर्थन दिया है ऐसे में बीजेपी इस मुद्दे पर अकेली पड़ जाती है। शायद यह भी एक कारण हो सकता है कि भारतीय जनता पार्टी को किसान आंदोलन के आगे झुकना पड़ा।

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