Krishna Janmashtami 2021: कब मनाई जाएगी कृष्ण जन्माष्टमी? जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि और श्रीकृष्ण की जन्म कथा

Krishna Janmashtami 2021 Date, Puja Vidhi, Shubh Muhurat: कृष्णा जन्माष्ठमी कब है यह सवाल हर किसी के मन में आ रहा होगा। दरअसल श्री कृष्णा जन्माष्ठमी को लेकर अलग अलग मान्यताएं हैं। श्री कृष्णा जन्माष्ठमी का उत्सव योगेश्वर श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह हिन्दुओं का मुख्य त्यौहार है। सम्पूर्ण भारत में यह उत्सव धूम धाम के साथ मनाया जाता है। कृष्ण भक्त इस दिन उपवास भी रखते हैं। श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष के रोहिणी नक्षत्र में हुआ था।

कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) की तिथि को लेकर विभिन्न विचार रहते हैं, परन्तु इस वर्ष देश के कई हिस्सों में कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) 29 अगस्त को मनाई जा रही है, तो कुछ अन्य हिस्सों में जन्माष्टमी का त्योहार 30 अगस्त को मनाया जा रहा है। इसके पीछे यह कारण है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद यानी कि भादो माह की कृष्ण पक्ष की अष्ठमी को हुआ था जो 29 अगस्त को पड़ रही है। परन्तु रोहिणी रोहिणी नक्षत्र 30 अगस्त को पड़ रहा है इस वजह से यह 30 अगस्त को भी मनाई जाएगी। हालांकि भगवान श्री कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा में कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) 30 अगस्त को मनाई जाएगी।

कब है कृष्णा जन्‍माष्‍टमी: जानिए तिथि और शुभ मुहूर्त 

  • जन्‍माष्‍टमी की तिथि: 29 अगस्‍त और 30 अगस्‍त।
  • अष्‍टमी तिथि प्रारंभ: 29 अगस्‍त 2021 को रात 11 बजकर 25 मिनट से।
  • अष्‍टमी तिथि समाप्‍त: 31 अगस्‍त 2021 को सुबह 01 बजकर 59 मिनट तक।
  • रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ: 30 अगस्‍त 2021 की सुबह 06 बजकर 39 मिनट से।
  • रोहिणी नक्षत्र समाप्‍त: 31 अगस्‍त 2021 को सुबह 09 बजकर 44 मिनट तक।
  • पूजा का समय: 30 अगस्त 2021 को रात 11 बजकर 59 मिनट से 12 बजकर 44 मिनट।

क्या है जन्‍माष्‍टमी का महत्व?

विद्वानों के अनुसार वैष्णवों द्वारा परम्परानुसार भाद्रपद माह की अष्टमी तिथि में सूर्यादय होने के अनुसार ही श्री कृष्णा जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है, लेकिन नन्दगांव में इसके उलट श्रावण मास की पूर्णमासी के दिन से आठवें दिन ही जन्माष्टमी मनाने की प्रथा है। मान्यता है कि श्रीकृष्ण सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्णु (Lord Vishnu) के आठवें अवतार हैं। जिन्होंने धर्म के स्थापना करने को राक्षसों का वध करने के लिए इस धरती में मानव रूप में जन्म लिया। और कुरुक्षेत्र के युद्धस्थल में अर्जुन को श्रीमद्भगवत गीता का उपदेश दिया था। आज पूरी दुनिया गीता के ज्ञान का लाभ ले रही है। हिंदू धर्म में भगवान श्री कृष्ण को मोक्ष देने वाला बताया जाता है।

Krishna Janmashtami 2021

 

क्यों मनाई जाती है जन्‍माष्‍टमी: भगवान श्री कृष्ण की जन्म कथा

कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण के अवतार का एक कारण कंस का वध करना भी था। भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के सम्बंधित यह कथा भी प्रचलित है। कंश के यदुवंशी राजा था जिसकी बहिन का नाम देवकी था। कंश अपनी बहिन देवकी से अत्यधिक प्रेम करता था। देवकी का विवाह वसुदेव जी के साथ हुआ था, कंश अपनी बहिन देवकी को वसुदेव जी से साथ उसके ससुराल छोडने जा रहा था। तब रस्ते में आकाशवाणी हुई कि हे कंश जिस बहिन को तू इतने लाड़ प्यार से साथ उसके ससुराल पहुंचाने जा रहा है। उसकी आठवीं संतान तेरा मृत्यु का कारण बनेगी।

अपने मृत्यु के भय के कारण कंश ने अपनी बहिन देवकी और वसुदेव को कारागार में डाल दिया। वह देवकी के एक के बाद एक संतान को मार देता था। परन्तु जब देवकी ने आठवें बालक यानि की श्रीकृष्ण को जन्म दिया। तब भागवान श्री हरी विष्णु जी के योग माया के चमत्कार के कारण कारागार के सभी ताले टूट गए। और श्रीकृष्ण के पिता यानि वासुदेव जी के हाथों से बेड़ियां भी खुल गई। यह देख कर उन्होंने अपने बालक श्रीकृष्ण को गोकुल में नन्द बाबा के घर में छोड़ दिया। नंद बाबा के घर में एक कन्या का जन्म हुआ था, जो योग माया की अवतार थी।

वासुदेव जी उस कन्या को लेकर वापस कंश के कारागार में आ गए। इसी के साथ कंश को जब देवकी के आठवें संतान के पैदा होने की बात पता चली, तो उसने उस कन्या की हत्या करने के उसे उसे जमीन में फैक दिया। परन्तु वह कन्या हवा में उड़ते हुए बोली कि हे कंश तेरा काल यहाँ से जा चुका है। और कुछ समय बाद तेरा अंत करेगा। में तो केवल योग माया का अवतार हूँ। इस तरह से कुछ समय बाद श्रीकृष्ण ने कंश के महल आकर मल्ल युद्ध करते हुए उसका वध कर दिया।

Krishna Janmashtami

जानिए जन्माष्टमी व्रत की पूजा विधि

श्री कृष्णा जन्माष्टमी के दिन भगावन श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है। अगर आप भी कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रख रहे हैं, तो भगवान श्रीकृष्ण की पूजा इस तरह से करें:

  • प्रातः जल्दी उठ कर स्नान कर लें और उसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें।
  • अब अपने घर के मंदिर में भगवान कृष्ण जी की मूर्ति को पहले गंगा जल पवित्र कर लें।
  • अब भगवान कृष्ण जी की मूर्ति को दूध, दही, घी, शक्कर, शहद और केसर आदि के घोल से स्नान कराएं।
  • अब पवित्र जल से स्नान कराएं।
  • रात 12 बजे भोग लगाकर लड्डू गोपाल की पूजा अर्चना करें और फिर आरती करें।
  • अब घर के सभी सदस्यों को प्रसाद बातें।
  • अगर आप व्रत रख रहे हैं तो दूसरे दिन नवमी को व्रत का पारण करें।

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