Maharana Pratap Jayanti 2021: भारत वीरों की भूमि रही है और यदि वीरों की बात की जाए तो महाराणा प्रताप का नाम सबसे पहले लिया जाता है। महाराणा प्रताप का जन्म सोलहवीं शताब्दी में राजस्थान में हुआ था। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार महाराणा प्रताप 9 मई 1540 को कुंभलगढ़ में जन्मे थे। इसी दिन ज्येष्ठ मास की तृतीया तिथि भी थी इसी वजह से हिंदी पंचांग के अनुसार इस बार महाराणा प्रताप जी की 481वीं जयंती 13 जून 2021 रविवार को मनाई जा रही है।
महाराणा प्रताप जयंती पर जानिए उनके जीवन से जुड़े ये खास रहस्य
महाराणा प्रताप ने अपनी माँ से ही युद्ध कौशल सीखा था। देश के इतिहास में हल्दीघाटी का युद्ध आज भी पढ़ा जाता है। महाराणा प्रताप और मुग़ल बादशाह अकबर के बीच लड़ा गया युद्ध बहुत ही विनाशकारी था। अकबर को रणभूमि में टक्कर देते हुए महाराणा प्रताप ने जंगल में अपने परिवार के साथ विपरीत परिस्थितियां भी देखी परन्तु पराजय स्वीकार नहीं की। हल्दीघाटी का यह युद्ध मुग़ल बादशाह अकबर और महाराणा प्रताप के बीच 18 जून, 1576 ई. को लड़ा गया था।
हल्दीघाटी का वह युद्ध न तो अकबर जीत सका था और न ही महाराणा प्रताप हारे थे। एक ओर मुग़ल सेना काफी बड़ी थी तो वहीँ महाराणा प्रताप के पास भी वीरों की कोई कमी नहीं थी। जिन्होंने महाराणा प्रताप का हर परिस्थियों में साथ दिया था। महाराणा प्रताप का सबसे चहेता घोडा चेतक था आज भी उसकी कहानियाँ प्रचलित हैं। महाराणा प्रातक की ही भांति उनका घोडा “चेतक” भी बहुत बहादुर था। कहा जाता है कि महाराणा प्रताप को उनके घोड़े ने अपनी पीठ पर बिठाकर कई फ़ीट चौड़े नाले से छलांग लगा दी थी। परन्तु युद्ध में घायल होने के बाद चेतक की मृत्यु हो गई थी। आज भी चेतक की समाधि हल्दी घाटी में बानी हुई है।
महाराणा प्रताप के भाले का वजन कुल 81 किलो था इसके साथ ही उनके छाती का कवच 72 किलो था। भला, कवच, ढाल, और दोनों तलवारों के साथ उनके अस्त्र और शस्त्रों का कुल वजन 208 किलो था। इतिहासकारों की माने तो अकबर ने महाराणा प्रताप से समझौते के लिए 6 दूत भेजे थे परन्तु हर बार महाराणा प्रताप ने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया था क्योंकि उनका मानना था कि राजपूत योद्धा कभी किसी के सामने अपने घुटने नहीं टेकते हैं।