New National Education Policy 2020, नई शिक्षा नीति (NEP 2020): केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है। 34 साल बाद देश की शिक्षा नीति में नए बदलाव किये गए जिसे जिसे न्यू एजुकेशन पॉलिसी, 2020 नाम दिया गया है। तो अब जानना यह होगा कि इस शिक्षा नीति में कब तक स्कूलों में पढ़ना है, ग्रेजुएशन कितने साल को होगा, बोर्ड की परीक्षाएं कौन सी क्लास में होंगी, इस तरह के कौन कौन से बदलाव किये गए हैं।
New Education Policies (नई शिक्षा नीति NEP 2020)
नई शिक्षा नीति तैयार करने के लिए 31 अक्टूबर, 2015 को सरकार ने पूर्व कैबिनेट सचिव टी.एस.आर. सुब्रह्मण्यन की अध्यक्षता में पांच सदस्यों की कमिटी बनायीं थी। इसके बाद 27 मई, 2016 को कमिटी ने अपनी रिपोर्ट दी थी। इसके बाद 24 जून, 2017 को ISRO के प्रमुख वैज्ञानिक के कस्तूरीगन की अध्यक्षता में नौ सदस्यों की कमेटी को नई शिक्षा नीति का ड्राफ्ट तैयार करने की की जिम्मेदारी प्रदान की गयी। 31 मई, 2019 को यह ड्राफ्ट एचआरडी मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को सौपा गया था। और लोगों के सुझावों के आधार पर 29 जुलाई को केद्रीय कैबिनेट ने नई शिक्षा नीति के ड्राफ्ट को मंजूरी दे दी।
Cabinet Briefing @PrakashJavdekar @DrRPNishank https://t.co/47u5S0pH6f
— Dr. Ramesh Pokhriyal Nishank (@DrRPNishank) July 29, 2020
नई शिक्षा नीति के आधार पर स्कूल के बस्ते, प्री प्राइमरी क्लासेस से लेकर बोर्ड परीक्षाओं, रिपोर्ट कार्ड, यूजी एडमिशन के तरीके, एमफिल तक के बदलाव किये गए हैं। इसके अलावा इसमें स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा के साथ कृषि शिक्षा, कानूनी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा और तकनीकी शिक्षा जैसी व्यावसायिक शिक्षाओं को इसके दायरे में सम्मिलित किया गया।
#NEP2020
Ensuring universal access to high-quality Early Childhood Care and #Education across the country.#ECCE will focus on developing social capacities, sensitivity, good behaviour, courtesy, ethics, personal & public cleanliness, teamwork & cooperation among children. pic.twitter.com/qQ3JVoqHW8— Ministry of Education (@EduMinOfIndia) July 29, 2020
मल्टीपल एंट्री एंड एक्जिट
इसके आधार पर वो स्टूडेंट्स जिन्होंने बी टेक में एडमिशन लिया है अगर वह छात्र दो सेमेस्टर बाद अपनी एजुकेशन कंटिन्यू नहीं करना चाहते हैं, या कुछ और पढ़ना चाहते हैं तो उसका साल ख़राब नहीं होगा और उन्हें एक साल के आधार पर सर्टिफिकेट दिया जायेगा। इसके अलावा दो साल पढ़ने पर डिप्लोमा मिलेगा, और कोर्स पूरा करने पर डिग्री दी जाएगी। इसके अलावा कहीं और एडमिशन लेने के लिए यह रिकॉर्ड कंसीडर किया जायेगा। सरकार की पालिसी में इसे क्रेडिट ट्रांसपर कहा गया है।
ग्रेजुएशन
पुरानी शिक्षा नीति के अनुसार बीए, बीएससी जैसे ग्रेजुएशन कोर्स तीन साल के होते हैं। परन्तु नयी शिक्षा नीति के आधार पर दो ऑप्शन दिए जायँगे। जो नौकरी के आधार पर पढ़ रहे हैं उनके लिए 3 साल का ग्रेजुएशन और जो रिसर्च के लिए पढ़ाई करना चाहते हैं उनके लिए 4 साल का ग्रेजुएशन। इसके बाद एक साल का पोस्ट ग्रेजुएशन और 4 साल का का पीएचडी। एम फिल का कोर्स समाप्त किया जायेगा।
#NEP2020
🟠The UG degree will have multiple exit options.🟠
An Academic Bank of Credit shall be established which would digitally store the academic credits earned from various recognized HEIs so that the degrees from an HEI can be awarded taking into account credits earned. pic.twitter.com/yf5h2ai6UI— Ministry of Education (@EduMinOfIndia) July 29, 2020
मल्टी डिसिप्लिनरी एजुकेशन
New Education Policy (NEP 2020) के आधार पर कोई स्पेशल स्ट्रीम नहीं होगी, और कोई भी मनचाहे सब्जेक्ट चुन सकता है। इसका मतलब है, अगर कोई फिजिक्स में ग्रेजुएशन कर रहा है और उसकी रूचि म्यूजिक में है तो वह म्यूजिक भी साथ में पढ़ सकता है। आर्ट्स और साइंस का मामला अलग अलग नहीं रखा जायेगा, हलाकि इसमें मेजर और माइनर सब्जेक्ट की व्यवस्था होगी।
#NEP2020
🟠The UG degree will have multiple exit options.🟠
An Academic Bank of Credit shall be established which would digitally store the academic credits earned from various recognized HEIs so that the degrees from an HEI can be awarded taking into account credits earned. pic.twitter.com/yf5h2ai6UI— Ministry of Education (@EduMinOfIndia) July 29, 2020
- कॉलेजों को ग्रेडेड ऑटोनॉमी दी जाएगी। पुरानी शिक्षा नीति में एक यूनिवर्सिटी से एफिलिएटेड कई कॉलेज होते हैं, जिनकी परीक्षायें यूनिवर्सिटी करवाती है। NEP 2020 के आधार पर अब कॉलेज को भी अथॉरिटी दी जाएगी।
- अभी तक यूजीसी, एआईसीटीई जैसी कई संस्थाएं हायर एजुकेशन के लिए हैं। परन्तु अब सबको मिला कर एक ही रेग्युलेटर बना दिया जाएगा। मेडिकल और लॉ को छोड़ कर सभी प्रकार की उच्च शिक्षा के लिए सिंगल रेग्युलेटर बॉडी भारतीय उच्च शिक्षा आयोग (HECI) बनाया जायेगा।
- नयी शिक्षा नीति (NEP 2020) का उद्देश्य व्यवसायिक शिक्षा सहित उच्चतर शिक्षा में जीईआर को 26.3 प्रतिशत (2018) से बढ़ाकर 2035 तक 50 प्रतिशत करना है। GER के द्वारा हायर एजुकेशन में नामांकन किया जाता है। इसके अलावा हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स में 3.5 करोड़ नई सीटें जोड़ी जाएंगी।
- देशभर की हर यूनिवर्सिटी के लिए शिक्षा का एक ही मानक रखा जायेगा चाहे वह सेंट्रल यूनिवर्सिटी हो या स्टेट यूनिवर्सिटी हो या डीम्ड यूनिवर्सिटी। प्राइवेट कॉलेज भी कितनी अधिकतम फीस के लिए फी कैप तय की जाएगी।
- रिसर्च प्रोजेक्ट्स की फंडिंग के लिए नेशनल रिसर्च फाउंडेशन बनाया जायेगा, जो साइंस के अलावा आर्ट्स के विषयों में भी रिसर्च प्रोजेक्ट्स को फंड करेगा।
- आईआईटी, आईआईएम की तरह शिक्षा एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय (एमईआरयू) तैयार किये जायँगे।
- विश्व की टॉप यूनिवर्सिटीज देश में अपना कैम्पस खोल सकती है।
- शिक्षा के क्षेत्र में टेक्नोलॉजी का सही इस्तेमाल, शैक्षिक योजना, प्रशासन और प्रबंधन को कारगर बनाने तथा वंचित समूहों तक शिक्षा को पहुंचाने के लिए एक स्वायत्त निकाय राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंच (NETF) बनाया जाएगा।
स्कूलों में किये जायँगे ये बदलाव
नई शिक्षा नीति में स्कूलों में 10+2 खत्म करके शुरू होगा 5+3+3+4 फॉर्मेंट। स्कूल के पहले पांच साल में प्री-प्राइमरी स्कूल में तीन साल और कक्षा एक और कक्षा 2 सहित फाउंडेशन स्टेज शामिल किये जायँगे। इन पांच साल की पढाई के लिए नया पाठ्यक्रम तैयार किया जायेगा। अगले तीन साल का स्टेज कक्षा 3 से 5 तक का किया जायेगा। फिर 3 साल का मिडिल स्टेज यानि कि कक्षा 6 से 8 तक का स्टेज रहेगा। कक्षा 6 से ही स्टूडेंट को प्रोफेशनल और स्किल की शिक्षा दी जाएगी।
इसके अलावा स्थानीय स्तर पर इंटर्नशिप भी करवाई जाएगी। चौथा स्टेज कक्षा 9 से 12वीं तक का होगा जो 4 साल का होगा। स्टूडेंट इसमें अपने मन पसंद विषय चुन सकेंगे। 5 + 3 + 3 + 4 के नए स्कूल एजुकेशन सिस्टम में पहले पांच साल 3 से 8 वर्ष के बच्चों के लिए, उसके बाद के तीन साल 8 से 11 वर्ष के बच्चों के लिए, उसके बाद के तीन साल 11 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए और स्कूल में सबसे आखिर के 4 साल 14 से 18 वर्ष के बच्चों के लिए तय किये गए हैं।
दसवीं एवं 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में बड़े बदलाव किये जायँगे, साल में दो बार बोर्ड की परीक्षाएं करवाई जायँगी जिन्हें वस्तुनिष्ठ (ऑब्जेक्टिव) और व्याख्त्मक श्रेणियों में विभाजित किया जायेगा। सभी बोर्ड को प्रैक्टिकल मॉडल को तैयार करने होंगे जैसे वार्षिक, सेमिस्टर और मोड्यूलर बोर्ड परीक्षाएं। नयी शिक्षा नीति के तहत कक्षा तीन, पांच एवं आठवीं में भी परीक्षाएं होगीं। जबकि 10वीं एवं 12वीं के बोर्ड एक्साम्स बदले स्वरूप में जारी रहेंगे। इसके अलावा पांचवीं तक और जहां तक संभव हो सके आठवीं तक मातृभाषा में ही शिक्षा उपलब्ध कराई जाएगी।
स्टूडेंट को 360 डिग्री समग्र रिपोर्ट कार्ड जारी किया जायेगा। जो न केवल विषयों में उनके द्वारा प्राप्त अंकों के बारे में सूचित करेगा, बल्कि उनके कौशल और अन्य महत्वपूर्ण बिंदुओं को भी बताएगा।