Parshuram Jayanti 2020 Date & Tithi: कोरोना वायरस के कारण इस समय देश की हालत गम्भीर है। यह देश में अब तक आई सबसे बड़ी आपत्तियों में से एक है। सरकार और आम नागरिक दोनो ही इस मुसीबत से लड़ने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। अगर कुछ लोगो को छोड़ दिया जाए तो सभी लोग सरकार के द्वारा दिए जा रहे इंस्ट्रक्शंस को भी फॉलो कर रहे हैं। इस समय पूरे देश में लॉकडाउन है, जिस वजह से लोगों को सभी त्योहार घर पर ही मनाने पड़ रहे है। इस बार कई अन्य त्योहारों की तरह परशुराम जयंती (Parshuram Jayanti 2020) भी घर पर ही मनाई जाएगी।
भगवान परशुराम जयंती शुभ समय एवं तिथि
- सूर्योदय: 25 अप्रैल, 2020 6:01 बजे पूर्वाह्न
- सूर्यास्त: 25 अप्रैल, 2020 6:48 बजे
- तृतीया तिथि: 25 अप्रैल, 2020 11:52 बजे पूर्वाह्न शुरू होती है
- तृतीया तिथि: 26 अप्रैल, 2020 1:23 बजे समाप्त होती है
साल 2020 में किस दिन मनाई जाएगी परशुराम जयंती?
अधिकतर हिंदू त्योहारों की तरह परशुराम जयंती (Parshuram Jayanti 2020) भी तिथियों के अनुसार ही मनाई जाती है। इस बार परशुराम जयंती 26 अप्रेल को मनाया जाएगा। बता दें कि परशुराम जयंती और अक्षय तृतीया एक ही दिन आती है। अक्षय तृतीया को ही भारत में परशुराम जयंती के रूप में मनाया जाता है। अक्षय तृतीया को लेकर कहा जाता है कि इस दिन किया जाने वाला हर कार्य सफल होता है। अक्षय तृतीया अर्थात परशुराम जयंती भारतीय पंचांग के सबसे शुभ दिनों में से एक मानी जाती है।
अक्षय तृतीया के दिन हुआ था विष्णु के अवतार का जन्म!
भारतीय पंचांग के वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को ही भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। वैशाख मास शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया के नाम से जाना जाता है। अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। भगवान परशुराम को भगवान विष्णु के छठे अवतार के रूप में स्वीकारा गया है। हिंदू धर्म के ग्रंथों की मान्यताओं के अनुसार भगवान परशुराम के रूप में विष्णु ने राक्षसों का संघार करने के लिए जन्म लिया था। भगवान परशुराम ने एक ब्राह्मण रूप में 21 बार पृथ्वी को क्षत्रिय विहीन किया था।
आज भी जीवित हैं भगवान परशुराम!
भारत में कई प्रकार के धार्मिक मान्यता है जिन पर लोग पूर्ण रूप से अपनी आस्था भी रखते हैं। हिंदू धर्म के कुछ मान्यताओं के अनुसार अब तक ऐसे 8 देवताओं और महापुरुष ने जन्म दिया है जो आज भी जीवित है। भगवान परशुराम भी उन्हीं चिरंजीव देवताओं में शामिल हैं। कहा जाता हैं की भगवान परशुराम को भी रामभक्त संकट मोचन हनुमान जी की तरह ही अमर होने का वरदान प्राप्त है।
कैसे मिला परशुराम नाम?
सनातन धर्म के ग्रंथों के अनुसार भगवान परशुराम का जन्म भृगुश्रेष्ठ महर्षि जमदग्नि के द्वारा किये गए पुत्रेष्टि यज्ञ द्वारा माना गया है। कहा जाता है कि इस यज्ञ से प्रसन्न होकर देवराज इंद्र ने वरदान दिया था जिससे रूपवती पत्नी रेणुका को अक्षय तृतीया के दिन एक बालक का जन्म हुआ था। वह बालक भगवान विष्णु का छठा अवतार था। परशुराम का नाम पहले जामदग्न्य था। लेकिन जब महादेव शिव ने उन्हें परशु दिया तब से उनका नाम परशुराम पड़ गया।
जब परशुराम के क्रोध ने बनाया गणेश जी को एकदन्त!
भगवान परशुराम की सबसे बड़ी खासियतों में से एक उनका क्रोध भी था। भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाने वाले परशुराम जी का क्रोध काफी भयंकर माना जाता था। जब परशुराम एक बार भगवान शिव से मिलने आये तो बाल गणेश ने उन्हें भगवान शिव से मिलने से रोका। भगवान परशुराम को इस बात से क्रोध आ गया और उन्होंने अपने परशु से श्री गणेश पर प्रहार किया। परशुराम के इस प्रहार से गणेश जी का एक दांत टूट गया। इसी दिन से उनका नाम एकदन्त पड़ा।