Sakat Chauth 2021 : क्यों मनाया जाता हैं सकट चौथ का वृत, जाने सकट चौथ कर महत्व के बारे में

हमारे देश मे विभिन्न धर्मों के विभिन्न सभ्यताओं को मानने वाले लोग निवास करते हैं। इस वजह से ही हमारे देश को अन्य देशों में एक धार्मिक देश के रूप में स्वीकारा जाता हैं। भारत मे सनातन धर्म के हर साल सेकड़ो त्यौहार मनाए जाते है और उन्ही में से एक त्यौहार ‘सकट चौथ’ का त्यौहार भी हैं। सकट चौथ के त्यौहार के दिन संकट हरण श्री गणेश को पूजा जाता हैं। मान्यता हैं कि सकट चौथ का वृत करने से संकट और दुःख दूर होते हैं। इस वृत को कई अन्य नामो जैसे कि वक्रतुण्डी चतुर्थी, माही चौथ अथवा तिलकुटा चौथ आदि के नाम से भी जाना जाता हैं। इस वृत के दिन संकट गणेशजी और चंद्रमा की पूजा की जाती हैं। इस बार 31 जनवरी के दिन सकट चौथ (Sakat Chauth 2021) का वृत मनाया जाएगा।

क्यों मनाया जाता हैं सकट चौथ का त्यौहार?

सनातन धर्म से जुड़े हर त्यौहार की तरह ही सकट चौथ को मनाने का भी एक विशेष कारण है और इसको लेकर कुछ लोककथाएं भी मौजूद हैं। मान्यताओं के अनुसार सकट चौथे के बारे में भगवान गणेश ने खुद मा पार्वती को बताया था। इस वृत को घर का कोई भी सदस्य कर सकता हैं। कहा जाता हैं कि संतान की खुशहाली और समृद्धि के लिए यह वृत किया जाता हैं। अधिकतर यह वृत मा के द्वारा किया जाता हैं। सकट चौथ से जुड़ी एक लोकोरिय लोककथा के अनुसार किसी नगर में एक कुमार निवास करता था। एक बार जब उसने बर्तन बनाकर आवा लगाना चाहा तो आवा नही लगा।

इस समस्या को लेकर कुमार राजा के पास गया। राजा ने राजपंडित को बुलाया और राजपंडित ने कहा कि ‘हर बार आंवां लगाते समय एक बच्चे की बलि देने से आंवां पक जाएगा’। राजा ने इसके लिए आदेश जारी कर दिया। अब राजा के आदेशानुसार जिस परिवार की बारी होती, वह अपने बच्चों में से एक बच्चा बलि के लिए भेज देता। कुछ दिनों में एक बुढ़िया के लड़के की भी बारी आ गयी। बुढ़िया के एक ही बच्चा था। उसने अपने बच्चे को डूब का बीड़ा और सकट की सुपारी देकर कहा कि भगवान में श्रद्धा रखकर आवा में बैठना, सकट माता तेरी रक्षा जरूर करेगी’। आवा एक ही रात में पकं गया और बुढ़िया का बेटा जीवित वापस लौटकर आया। तब से नगरवासियों की सकट माता में श्रद्धा पैदा ही गयी। सकट माता की कृपा ने अन्य बालक भी जीवित जो गए। तब से सकट माता का वृत किया जाता हैं।

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