ताजमहल विवाद-ताजमहल के इतिहास को लेकर एक बार फिर जंग छिड़ गई है। ताजमहल दुनियाँ का सातवां अजूबा है सबसे बड़ा सवाल तो ये उठ रहा है कि आखिर ये ताजमहल है या फिर तेजोमहालय, यह कोर्ट में याचिका दाखिल किया गया। आगरा के ताजमहल के तहखाने में मौजूद 22 कमरों का मामला एक बार फिर से सुर्खियों में है।
जानिए ताजमहल विवाद से सम्बंधित जानकारी-
ताजमहल को भले ही आज विश्व के 7 अजूबों में से एक माना जाता हो, लेकिन इसके वजूद को लेकर भी विवाद है | कई पक्षों का मानना है कि यहां पहले एक शिव मंदिर था, जबकि कई इतिहास के पन्नों में कई जगह जिक्र है कि यह मुगल शासक शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज की याद में इसे बनाया था | ताजमहल या तेजो महालय, यह विवाद की नई जगह बनता दिख रहा है। विश्व के सात अजूबों में से एक ताजमहल पर विवाद कोई नया नहीं है। मुगलों की ओर से देश में शासन के दौरान हिंदू धार्मिक स्थलों को निशाना बनाए जाने को पूरे विवाद का आधार माना जा रहा है।
जानिए हाई कोर्ट में ताजमहल के रहस्य की याचिका से सम्बंधित जानकारी-
भारतीय जनता पार्टी के अयोध्या मीडिया प्रभारी डॉ. रजनीश सिंह ने कोर्ट में याचिका दाखिल की है कि ताजमहल के 22 कमरों को खोला जाए। कमरों में बंद राज को दुनिया के सामने लाने के लिए इसे खोलने का अनुरोध किया गया है। पिछले दिनों अयोध्या के संत परमहंस ताजमहल में प्रवेश करने की कोशिश करते पाए गए। इस पूरे मामले ने अब माहौल को गरमा दिया है। कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया है।
जानिए ताजमहल को तेजोलय महादेव मंदिर क्यों बताया गया-
पीएन ओक ने ताजमहल पर एक और किताब लिखी थी। इस किताब के आधार पर कुछ सवाल स्पष्ट किये गया है जिसके आधार पर वे ताजमहल को एक मंदिर मान रहे थे । उनके सवाल एकदम स्पष्ट थे-
- ताजमहल संगमरमर की जाली में बने हैं 108 कलश (हिन्दू मंदिरों की भी ऐसी ही परंपरा है)।
- मकबरे में जूते चप्पल उतारने की मान्यता नहीं लेकिन संगमरमर की सीढियों पर है।
- ‘ताज’ और ‘महल’ हैं संस्कृत शब्द तो फिर मकबरे को संस्कृत नाम कैसे दिया गया?
क्या है ताजमहल के 22 बंद कमरों की सच्चाई-
ताजमहल के जिन 22 कमरों को लेकर याचिका दाखिल की गई है वह दशकों से बंद हैं। इस मामले में इतिहासविदों का कहना है कि ताजमहल में मुख्य मकबरे और चमेली फर्श के नीचे 22 कमरे बने हैं, जिन्हें बंद कर दिया गया है । उनका कहना है कि यह कमरे मुगल काल से बंद हैं। आखिरी बार इन कमरों को खोला गया था। तब यहां केवल निरीक्षण किया गया था, उसके बाद से ये बंद हैं। ताजमहल में चमेली फर्श पर यमुना किनारे की ओर जाने के लिए दो जगह सीढ़ियां बनी है। इन सीढ़ियों को ऊपर लोहे का जाल लगाकर बंद कर दिया गया है. बताया जाता है कि 40 से 45 साल पहले तक यहां जाने का रास्ता था लेकिन बाद में इन्हें बंद कर दिया गया।