प्राकतिक सौंदर्य के मामले में राजस्थान देश के सबसे बेहतर राज्यो में से एक हैं। राजस्थान में जिन जगहों को देसी-विदेशी पर्यटको के द्वारा सबसे अधिक घूमा जाता है उनमें से एक रणथंभौर नेशनल पार्क भी हैं। रणथंभौर नेशनल पार्क बाघो के लिए पूरी दुनिया मे मशहूर हैं। रणथंबोर राष्ट्रीय अभ्यारण का नाम दुनिया के और 90 रनों में शामिल है जहां सबसे अधिक बाघ पाए जाते हैं और अब रणथंबोर में बाघों की संख्या पहले से भी अधिक हो चुकी है। जी हाँ, दैनिक भास्कर के द्वारा छापी गयी खबर के मुताबिक सवाई माधोपुर स्थित रणथंभौर अभ्यारण्य में अब 72 बाघ हो चुके हैं जिसकी पुष्टि मॉनिटरिंग टीम के द्वारा की गई है।
Ranathambhaur National Park : टी-84 बाघिन ने दिया हैं 3 शावकों को जन्म
रणथंभौर राष्ट्रीय अभयारण्य टी-84 बाघिन एरोहेड के नाम से पूरी दुनिया मे लोकप्रिय हैं। हाल ही में बाघिन के द्वारा 3 शावकों को जन्म दिया गया हैं। पहले अभ्यारण में बग्जिन को 2 शावकों के साथ देखा गया था लेकिन हाल ही में बाघिन 3 शावकों के साथ पाई गई हैं। बता दे कि टी-84 बाघिन पहली नही बल्कि तीसरी बार माँ बनी हैं। टी-84 मशहूर बाघिन मचली कि नवासी और टी-19 की पुत्री हैं। 13 जुलाई के दिन शाम को रणथंभौर के 2 नम्बर जॉन में बाघिन को 2 नन्हे शावकों के साथ टहलते देखा गया था। इसके बाद बाघिन को मोनिटरिंग टीम के द्वारा 3 शावकों के साथ पाया गया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार जब बाघिन पहली बार मा बनी थी तब शावक ज़िंदा नही रह पाए और दूसरी बार बाघिन ने टी-124 और टी-125 बाघिनों को जन्म दिया था। अब एक बार फिर बाघिन मा बनी और इस बार बाघिन के द्वारा 3 शावकों को जन्म दिया गया हैं। बाघिन के द्वारा तीसरी बार मा बनने पर रणथंभौर में बाघो की संख्या बढ़ चुकी हैं। वर्तमान में रणथंभौर में 21 नर बाघ, 30 मादा बाघ और 21 शावक हैं। इस तरह से अभ्यारण्य में बाघो की संख्या 72 हो चुकी हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार बाघिन के शावकों की उम्र करीब डेढ़ से 2 महिने हैं।